Saturday, January 07, 2006

एक प्राचीन दुःस्वप्न का बयान

मित्रों!,
यहां प्रस्तुत है एक अनुभव जिसे सुनकर आपको अवश्य कुछ याद आयेगा
लेकिन ये बता दूं कि सुनने के लिये, आपक़े पास क्विक टाइम प्लेयर और प्लगिन होना आवश्यक होगा
मै आभारी हूं मिशिगन विश्वविद्यालय के Mellon Project i.e. म्ल्हार:- Mellonsite for Advanced Levels of Hindi-Urdu Acquisition and Research का, जहां से मै ये ध्वनि आपके लिये प्रेषित कर रहा हूं, चूंकि फाइल 1.61 मे.बा. की है, इस लिये प्ले बटन क्लिक् करने के बाद सर्वर से लोड होने मे थोड़ा समय लग सकता है
सुझाव और टिप्पणियों का सदैव स्वागत है

4 comments:

रवि रतलामी said...

इसे डाउनलोड करने का लिंक भी दें तो भला रहेगा.

Pratik Pandey said...

प्रस्‍तुत ऑडियो में ८४ के दंगों का काफ़ी जीवन्त वर्णन है। यह दर्शाता है कि मज़हबी उन्‍माद आम जीवन को किस तरह अस्‍त-व्‍यस्‍त कर के डर का वातावरण निर्मित कर देता है। साथ ही यह सीख भी देता है कि भविष्‍य में ऐसी घटनाओं से बचा जाना चाहिए। इस ऑडियो के प्रस्‍तुतीकरण के लिये धन्‍यवाद।

RC Mishra said...

विशेष रूप से रतलामी जी, और आप सब के लिये; डाउनलोड लिंक!

Basera said...

operation bluestar, इंदिरा गांधी जी की ह्त्या, फिर 1984 के दंगों ने हिंदू और सिक्खों में शायद कभी न ख़त्म होने वाला फ़ासला खड़ा कर दिया है। आम आदमी का इनसे कोई ज़्यादा सरोकार नहीं लेकिन इन्हीं चीज़ों को लेकर आज भी लोग इस दर्रे को बढ़ाने की कोशिश करते हैं।