लगभग दो मास के अन्तराल के बाद मै आपके समक्ष उपस्थित हूं, इस बीच मैने दो हिन्दी चिट्ठाकार सम्मेलनों मे भी भाग लिया,
जिसकी खबर आप सब तक साथी ब्लागर्स द्वारा पहुँचायी जा चुकी है,
इन्ही दिनों मैने अपनी भारत यात्रा भी सम्पन्न की, भारत जाने के पहले मैने इटली के एक और विख्यात शहर जेनोवा का भी दर्शन किया, ये वही शहर है जहाँ से कोलम्बस भारत पहुचने के लिये चला था और मध्य अमेरिका के द्वीपों में जाकर खो गया। फ़िलहाल भारत यात्रा सुखद और शान्तिपूर्ण सम्पन्न हुई।
भारत से आने के बाद ये मेरा पहला साप्ताहिक अवकाश था तो मै अपनी दराजों की तलाशी ले रहा था तभी मुझे एक हस्त लिखित प्रति मिल गयी एक यात्रा विवरण की, ये तब की बत है जब मैने (दिसम्बर २००५), कम्प्यूटर पर हिन्दी लिखना सीखा ही था। उन दिनों UNICAM मे ३ मास के संक्षिप्त वैज्ञानिक प्रवास पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्व-विद्यालय से वहाँ के सबसे नवयुवक प्रो. सरताज तबस्सुम आये हुए थे।
प्रस्तुत आलेख उन्ही के शब्दों में है।
सपने सच होते हैं
प्रातः काल ६ बजे हम वेनिस (इटली) के रेलवे स्टेशन पर उतरे, सूरज के किरणों की प्रतीक्षा मे हम बाहर निकले..सर्दी बहुत थी, परन्तु बाहर जाकर देखा तो बारिश भी हो रही थी।
प्लेट्फ़ार्म के बाहर न तो सडक थी और न ही मोटर गाडी, बस एक समन्दर की धारा और उसमें चलते स्टीमर........
आँखे जैसे पलक मारने को तैयार ही नही थीं और उन्हें यकीन ही नही हो रहा था कि किसी शहर की सारी सड़कों और गलियों में आवागमन पानी पर होता है। आज जब यह सपना सच हुआ तो खुद को विश्वास ही नहीं हुआ।
बात बहुत पुरानी है और यह सपना भी बहुत पुराना है, अब से बीस साल पहले मैं अपने ग्यारहवीं कक्षा मे बैठा था और मेरे अन्ग्रेजी के अध्यापक एक कहानी सुना रहे थे "The Merchant of Venice" मैने उसे बहुत ध्यान से सुना बाद मे उस पूरे उपन्यास को बहुत बार पढा़, उस किताब मे वेनिस के पूर्ण विवरण और व्यापार की कहानी थी जैसे गलियों रास्तों मे नावो का चलना, समुद्र की धारा मे स्टीमर से व्यापार होना, तथा लोगों का एक दूसरे के यहाँ जाना, सब कुछ नावों के द्वारा होता।
किताब पढने के बाद मेरी आँखों ने एक सपना देखा कि काश मैं इस शहर को देखता कि क्या यह सच है, एक लम्बा समय गुजर गया और एक दिन मुझे भारत सरकार ने शोध कार्य के लिये इटली भेज दिया, और एक शनिवार को अपनी वेनिस यात्रा शुरू की, हम इटले के एक छोटे से शहर कामेरिनो से वेनिस के लिये रवाना हुए, रात्रि के ९ बजे हमने यात्रा प्रारम्भ की और प्रातः ६ बजे वेनिस पहुँचे।
बारिश तेज थी परन्तु ज्यों ही हम स्टीमर की ओर बढे़ और हमने वेनिस के अति सुन्दर केन्द्रीय स्थल के लिये टिकट लिया,
तब हमे टिकट देने वाले ने बताया कि पानी बहुत है इसलिये आपको पानी वाले जूते लेने होंगें,
मैने आश्चर्य से पूछा कि क्यों तो बताया कि पूरे शहर मे बहुत पानी है और आप इन जूतों के बगैर शहर मे प्रवेश नही कर सकते, नही तो आपके कपाडे़ भीग जायेगे।
वहाँ दो प्रकार के जूते बिक रहे थे, एक रबड़ के, जो सच मे जूते थे उनकी कीमत २५ यूरो थी
और एक लम्बा पालीथीन जैसा कवर जिसकी कीमत १० यूरो मात्र थी।
सारे पर्यटक जूते खरीद रहे थे और पैरों पर रंग बिरंगे जूते चढाये हुए लोग स्टीमर की ओर चले,
स्टीमर का टिकट मात्र ५ यूरो का था और हम अपने सपने के पहले चरण में प्रवेश कर रहे थे,
स्टीमर ने चलना शुरू किया
और वेनिस नज़र आने लगा,
उसकी सुन्दरता तो जैसे बढते ही जा रहे थी, हर पल नया नज़ारा, हर पल अति सुन्दर होता जा रहा था। ऐसा लगता था जैसे य्ह शहर न होकर जल परी पानी पर उतरी है, और सबका मन मोह रही है...मेरा सपना सच हो गया था और मैं बहुत प्रसन्न था।
हम लोग ज्यों ही नीचे उतरे रास्ता पानी से भरा था जो लोग
हर गली इतनी सुन्दर,
दुकानें सजी हुई, हम एक गली से दूसरी गली जाते रहे परन्तु वेनिस इतना बडा़ शहर कि स्माप्त होने मे नही आ रहा था,
हर दृश्य इतना सुन्दर कि तस्वीरे
खीँचते खीँचते आदमी थक जाये,
हमने बहुत सुन्दर दृश्य अपने कैमरे मे कैद कर लिये,
यहाँ का सेन्टर या "चेन्त्रो" जो San Marco के नाम से जाना जाता है,
समुद्र तट के किनारे स्थित है, अति सुन्दर है..बीच में एक ऊँचा टावर और चारों और
भव्य इमारत जिसमें मन मोहक दुकानें,
इतना सुन्दर दृश्य और बीच मे समुद्र का जल..मेरे पास तो इसकी सुन्दरता के वर्णन के लिये शब्द नही रह गये ऐसा लग रहा था कि यह शहर भी सपना ही है।
सुन्दर सुन्दर मकान पुल गलियाँ और दुकानें, व्यापार मन्डल के कार्यालय सब पानी से जुड़े थे,
और लोग अपने काम पर सीद्गे सादे तरीके से आ जा रहे थे,
जब जब मै ये सोचता कि ये कैसे सम्भव है कि हर दुकान हर घर पानी
मे तो विश्वास को सत्य का सहारा मिलते हुए भी आश्चर्य सा लग रहा था।
अन्त मे मैं ईश्वर को धन्यवाद देते हुए और अपने सपने को सच देखते हुए वेनिस से वापस कैमेरिनो की ओर चल दिया।
प्रो. सरताज तबस्सुम
रसायन विज्ञान विभाग
अलीगढ़ मुस्लिम विश्व-विद्यालय
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
भारत॥
9 comments:
क्या बात है, वाह, बहुत सुंदर चित्र है, साधुवाद
वैनिस की गलियों में घूमने का सपना साकार! बहुत सुंदर।The Merchant of Venice शेक्सपियर का प्रसिद्ध नाटक है। सचमुच उससे जोड़कर चित्रों को देखना और ज़्यादा अच्छा लगा।
बहुत सुन्दर। वेनिस की खूबसूरती तो सिर्फ़ वहाँ जाकर ही देखी जा सकती है। लेकिन आपने चित्र बहुत जीवन्त खींचे है, मजा आ गया।
आशा है इसी तरह से आप हमे इटली के दूसरे शहरों के भी दर्शन करवाएंगे।
अब मैने भी वेनिस घुमने का सपना देख लिया है, देखते है कब सच होता है !
खूबसूरत तस्वीरो के साथ खूबसूरत लेक
बहुत ही ख़ूबसूरत वर्णन. धन्यवाद!
चलिये पता तो चला कि आप कहां गायब थे| लगता है कि वेनिस जाना पड़ेगा|
बधाई के लिए धन्यवाद - आपने तो बहुत इनजोय किया होगा :) मगर ये तसवीरेम कहां पर अपलोड की हैं याहां दिखाई नही देते
बधाई के लिए धन्यवाद - आपने तो बहुत इनजोय किया होगा :) मगर ये तसवीरेम कहां पर अपलोड की हैं याहां दिखाई नही देते
@ e-Shadow..
धन्यवाद
@ Premlata Pandey..
पिछले साल के शुरू मे ही मैने Il mercanto di Venezia फ़िल्म देखी थी, Iatalian में, जब मुझे इटालियन बहुत ही कम समझ आती थी..इस्लिये मन और भी उत्साहित था।
@ Jitu Bhai..
धन्यवाद!
आपकी आशाओं पर..खरा उतरने का प्रयास रहेगा।
@ आशीष..
अब देख लिया है तो जल्दी कोशिश कीजिये..हम आपके दर्शन भी कर लें।
@ Hindi Blogger..
शुक्रिया, आप तो पडो़स मे ही हैं..भाग्यशाली हूंगा अगर कभी आपसे मुलाकात हो सके तो।
@ उन्मुक्त जी..
हमने तो आपसे बात करनी चाही थी..शायद समय गलत था..फ़िर से प्रयास करूंगा अगले सप्ताह में।
@Shuaib Bhai..
अब ऐसी जगह जायें और एन्ज्वाय भी न करें..
सारी तस्वीरें Flickr पर हैं।
Post a Comment